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गोलीय दर्पण :- यह दोप्रकार के होते हैं !
अवतल दर्पण का उपयोग :- गाड़ियों
के हेड लाइट एवं सर्च लाइट में , आंख , कान , दांत के डॉक्टर द्वारा , सोलर कुकर में |
अवतल दर्पण का उपयोग :-
लेंस :-
द्वितीय रंग में = पीला , पीकॉक नीला या मैजेंटा ( लाल + नीला ) आते हैं |
मानव नेत्र :- नेत्र दान
में “ कार्निया ” दान होता है !
निकट दृष्टि दोष ( मायोपिया ) :- निकट दृष्टि दोष में निकट की वस्तु व्यक्ति देख सकता है !
दूर दृष्टि दोष कोष्टक में ( हिपरमेट्रोपिया ) :- इस रोग से ग्रसित व्यक्ति
दूर की वस्तु देख सकता है परंतु पास कि नहीं इसके लिए व्यक्ति उत्तल
लेंस का प्रयोग करता है या किया जाता है |
जरा दृष्टि दोष :- वृद्धा अवस्था में आंखों
की क्षमता घट जाती है !
दृष्टि असमय या अबिन्दुक्ता :- इस रोग में आंख क्षितिज दिशा में ठीक - ठीक देख सकता है !
विद्युत चालक जैसे :- चांदी ,
एल्मुनिय , तांबा |
विद्युत के चालक जैसे :- लकड़ी ,
रबड़ , कागज |
गोलीय दर्पण :- यह दोप्रकार के होते हैं !
- अवतल दर्पण
- उत्तल दर्पण
goliy darpn kya hota hai | दर्पण किसे कहते है | उत्तल | अवतल | उपयोग
दोस्तों आज हम जानेगें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में जो अक्सर आते है एग्जाम में
अवतल दर्पण का उपयोग :- गाड़ियों
के हेड लाइट एवं सर्च लाइट में , आंख , कान , दांत के डॉक्टर द्वारा , सोलर कुकर में |
अवतल दर्पण का उपयोग :- सोडियम प्रावर्तक लैंप में गाड़ियों के साइड मिलर में |
अवतल दर्पण का उपयोग :-
जैसे :-
- तारे टिम - टिमाते हुए दिखाई देते हैं ! प्रकाश अपवर्तन के कारण
जल के अंदर पढ़ी हुई मछली वास्तविक गहराई से कुछ उठी हुई दिखाई
पड़ती है |
- शीशे के गिलास में भरा हुआ पानी में एक सिक्का डाला हुआ कुछ उठा हुआ प्रतीत होता है |
- द्रव में अंशतः डूबी हुई छःड टेडी दिखाई पड़ती है |
- सूर्य उदय के कुछ समय पहले ही एवं सूर्यास्त के बाद भी सूर्य का प्रकाश दिखाई पड़ता है |
नोट पॉइंट :-
- लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम और बैगनी रंग का अधिक होता है |
- ताप बढ़ाने पर अपवर्तनांक सामान्तः घटता है |
अवतल दर्पण का उपयोग :-
- हीरे का चमकना |
- कांच में आई दरार का चमकना |
- रेगिस्तान में मिरिचिका का बनना |
- परखनली में जल का चमकना |
नोट :-
क्रांतिक कोण सघंय माध्यम में बना वह आपतन कोण होता है जिसके
लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री होता है |
लेंस :-
लेंस का मात्रक “ डायोक्टोर ” होता है जिसे
D से प्रदर्शित करते हैं !
उत्तल लेंस धनात्मक क्षमता तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है
यदि दोनों लेंसों को सटा कर रख दिया जाए तो उनकी क्षमताएं जुड़ जाती हैं !
तथा संयुक्त लेंस की क्षमता दोनों लेंसों के क्षमताओं के योग के बराबर होती है |
नोट पॉइंट :-
जैसे :-
- पानी के अंदर हवा का बुलबुला उत्तल लेंस के सामने दिखाई देता है परंतु उसका व्यवहार अवतल लेंस के समान होता है |
- लेंस को जब सामान अपवर्तनांक वाले द्रव में डूबोते हैं ! तो ऐसी स्थिति में लेंस की फोकस दूरी अनंत हो जाती है जिससे उसकी क्षमता नष्ट हो जाती है |
इंद्रधनुष :-
पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन , परावर्तन
का सबसे अच्छा उदाहरण होता है !
इसमें सात रंग होते हैं इनका नाम “ बैजनिहपिनाला ” होता है
बैगनी , जामुनी , नीला , हरा , पीला , नारंगी , लाल होता है |
दोस्तों यह एक शब्द से ही ट्रिक हो गया है इससे आप आसानी से
याद कर सकते है |
नोट :-
न्यूटन ने 1666 ई० में पाया कि भिन्न-भिन्न
रंग भिन्न-भिन्न कोणों से विक्षेपित होती हैं
!
पारदर्शी प्रदार्थ में जैसे-जैसे प्रकाश के
रंगों का अपवर्तनांक बढ़ता है वैसे-वैसे प्रदार्थ में
उसकी चाल कम हो जाती है !
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जैसे :-
- कांच में बैगनी रंग का प्रकाश वेग सबसे कम होगा क्योंकि अपवर्तनांक इसका अधिक होता है |
द्वितीय रंग में = पीला , पीकॉक नीला या मैजेंटा ( लाल + नीला ) आते हैं |
- टेलीविजन में प्राथमिक रंग का प्रयोग करते हैं या होता है |
जो भी विद्यार्थियों
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MPTET , BIHARTET , SUPERTET , ARMY , POLICE , SSC , SSB ,BSF , ITBP , CISF , इत्यादी प्रतियोगी परीक्षा की
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पूरक रंग उसे कहते हैं जो दो परस्पर रंगों से
मिलकर या मिलने पर श्वेत प्रकाश उत्पन्न कराएं
जैसे :-
पीला + नीला = सफेद
हारा + मजेंटा = सफेद
हरा + नीला + लाल = सफेद
लाल + पीकॉक नीला =बराबर सफेद |
प्रकाश तरंगों का व्यतिकरण :-
थामस यंग ने 1802 ईवी में इसका प्रयोगात्मक पुष्टि
किया था !
मानव नेत्र :- नेत्र दान
में “ कार्निया ” दान होता है !
स्पष्ट दृष्टि की
न्यूनतम दूरी 25 सेंटीमीटर होता है |
निकट दृष्टि दोष ( मायोपिया ) :- निकट दृष्टि दोष में निकट की वस्तु व्यक्ति देख सकता है !
परंतु दूर कि नहीं इसमें अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है |
दूर दृष्टि दोष कोष्टक में ( हिपरमेट्रोपिया ) :- इस रोग से ग्रसित व्यक्ति
दूर की वस्तु देख सकता है परंतु पास कि नहीं इसके लिए व्यक्ति उत्तल
लेंस का प्रयोग करता है या किया जाता है |
नोट :- निकट दृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के आगे बनता है जबकि दूर दृष्टि दोष में रेटिना के पीछे बनता है |
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जरा दृष्टि दोष :- वृद्धा अवस्था में आंखों
की क्षमता घट जाती है !
जिसके कारण व्यक्ति दूर और ना ही पास के वस्तु को देख सकता है इसके निवारण के लिए
दो फोक्स लेंस या उभया लेंस का प्रयोग किया जाता है या उभया तल लेंस का प्रयोग किया जाता है |
दृष्टि असमय या अबिन्दुक्ता :- इस रोग में आंख क्षितिज दिशा में ठीक - ठीक देख सकता है !
लेकिन उर्ध दिशा में नहीं देख सकता है !
इसके निवारण हेतु बेलनाकार
लेंस का प्रयोगकिया जाता है |
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सरल सूक्ष्मदर्शी :-
यह कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस होता
है !
पदार्थों को प्रस्पर लगड़ने से उस पर जो आवेश की मात्रा संचित रहती है
! उसे “ स्थिर वैद्युत वधुत ” करते हैं |
बैंजामिन फ्रैंकलीन ने दो प्रकार के आवेशों को धनात्मक आवेश और ऋणात्मक
आवेश दिया |
पृष्ट तनाव सबसे अधिक चालक के नुकुले भाग
पर होता है क्योंकि नुकुले भाग का क्षेत्रफल कम होता है !
विद्युत चालक जैसे :- चांदी ,
एल्मुनिय , तांबा |
विद्युत के चालक जैसे :- लकड़ी ,
रबड़ , कागज |
बोल्ट सेल का आविष्कारक प्रोफेसर “ एलिजांटो बोल्टा ” ने किया |
लेकलान्शे ने एनोड के रूप में प्रयुक्त कार्बन की छड “ मैंगनीज
डाइऑक्साइड ” व कार्बन के मिश्रण के बीच रखा जाता है !
लेकलान्शे सेल का प्रयोग विद्युत घंटी और टेलीफोनमें किया जाता है |
ट्रांसफार्मर :- विधुत चुम्बकीय प्रेरण के सिध्दांत पर कार्य करता है यह केवल प्रत्यावर्ती धरा के लिए प्रयुक्त किया जाता है |
- चुंबक बनाने में नरम लोहे का प्रयोग किया जाता है !
- इसमें अस्थाई चुंबक बनता है !
- लेकिन इस्पात से स्थाई चुंबक बनता है |
- चुंबक के दो ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा को चुंबकीय कक्ष कहा जाता है |
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