डॉप्लर प्रभाव क्या है
डॉप्लर प्रभाव क्या है , प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो विधुत तरंगों के रूप में संचरित होता है प्रदीप्त वस्तुएं अप्रदीप्त वस्तुएं
हेल्लो दोस्तों सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी आपको दिया जायेगा
पहले हम प्रकाश के बारे में जानेगे -
प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो विधुत तरंगों के रूप में संचरित होता है |
तरंग किसे कहते हैं तरंगों के प्रकार
ऐसी वस्तुएं जो स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होती है वह प्रदीप्त वस्तुएं कहलाती हैं |
अपारदर्शक वस्तुएं :-
पारदर्शक वस्तुएं :- जिनके द्वारा प्रकाश आर पार हो जाए वह पारदर्शक वस्तुएं कहलाती हैं |
प्रकाश का प्रकीर्णन :-
प्रकाश का परावर्तन :-
1.
ध्वनि का परावर्तन :- प्रकाश
के भाति ध्वनि भी एक माध्यम से चलकर दूसरे पृष्ठ से टकरा कर वापस लौट आए धोनी परिवर्तन
कहलाता है |
नोट :- a. प्रतिध्वनी से हम समुंद्र की गहराई
b. वायुयान की ऊंचाई तथा पहाड़ों की बीच की दूरी माप सकते हैं |
मैक संख्या :- मैक
संख्या 1 से अधिक है तो पिंड की चाल पाराध्वनि कहलायेगी और मैक संख्या 5 से
तापमापी :-
शैल्सियस :- शैल्सियस के खोजकर्ता शैल्सियस - सुडेन के
वैज्ञानिक थे !
गुप्त ऊष्मा का वस्था
परिवर्तन :-
रेफ्रीजिरेटर ( प्रशीतक
) :-
डॉप्लर प्रभाव क्या है , प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो विधुत तरंगों के रूप में संचरित होता है प्रदीप्त वस्तुएं अप्रदीप्त वस्तुएं
हेल्लो दोस्तों सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी आपको दिया जायेगा
पहले हम प्रकाश के बारे में जानेगे -
- प्रकाश का तरंगदैर्ध्य का मान 3900 A0 इंगस्ट्रोम 7500 इंस्ट्रम प के बीच होता है
- प्रकाश अनुप्रस्थ तरंग है |
- प्रकाश विद्युत प्रभाव एवं क्रॉप्टन सिद्धांत की व्याख्या “ आईस्ट्रिन ” ने प्रतिपादित किया प्रकाश के फ्रोटन सिद्धांत पर फ्रोटन का सिद्धांत के अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलो या पैकिटो के रूप में चलता है |
- प्रकाश की वेग की गणना सर्वप्रथम “ रोमर ” ने किया था |
- वायु एवं निर्वात में प्रकाश का वेग सर्वाधिक होता है |
- सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में लगभग लगभग 8 मिनट 16 सेकंड ( 496 सेकंड ) लगता है |
- चंद्रमा का प्रकाश पृथ्वी तक आने मे 1.28 सेकंड लगता है |
- प्रकाश की सर्वाधिक चाल निर्वात तत पश्चात कांच में , तारपीन तेल में , जल में और सबसे कम नैनलोन में होता है |
तरंग किसे कहते हैं तरंगों के प्रकार
प्रकाश का प्रकाश व्यवहार के आधार में निम्न प्रकार :-
प्रदीप्त वस्तुएं :-
जैसे :- सूर्य ,विद्युत बल इत्यादि
अप्रदीप्त वस्तुएं :- ऐसी वस्तुएं जो दूसरे के प्रकाश से प्रकाशित हो वह अप्रदीप्त वस्तुएं कहलाती हैं |
जैसे :- ग्रह , चंद्रमा , मेज , कुर्सी , तारा इत्यादि |
अर्ध्य पारदर्शक वस्तुएं :- जैसे :- तेल लगा हुआ काजल |
अपारदर्शक वस्तुएं :-
ऐसी वस्तुएं जिनसे होकर प्रकाश बाहर ना निकले वह अपारदर्शक वस्तुएं कहलाती हैं |
जैसे :- धातु
पारदर्शक वस्तुएं :- जिनके द्वारा प्रकाश आर पार हो जाए वह पारदर्शक वस्तुएं कहलाती हैं |
जैसे :- कांच और जल
प्रकाश का प्रकीर्णन :-
बैगनी रंग का प्रकीर्णन अधिक होता है और लाल रंग में प्रकाश का प्रकीर्णन कम होता है !
आकाश का नीला होना प्रकीर्णन के कारण ही है |
प्रकाश का परावर्तन :-
समतल दर्पण से परावर्तन :-
- समतल दर्पण किसी वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी होती है !
- यह वस्तु के बराबर एवं प्रश्न प्रास्व उल्टा होता है !
- समतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब देखने के लिए दर्पण की लंबाई वस्तु की लंबाई की कम से कम आधी होना चाहिए |
डॉप्लर प्रभाव क्या है ?
डॉप्लर प्रभाव :-
डॉप्लर
ने अपना प्रभाव 1842 ई० वी में प्रस्तुत किया डॉप्लर का पूरा
नाम “ क्रिश्चियन जान डाप्लर ” था !
यह – “ ऑस्ट्रेलिया ” के भौतिक वेता थे |
इनका
प्रभाव ध्वनि तरंगों में और प्रकाश तरंगों में बदलाव से संबंधित है |
जैसे :-
1.
जब
कोई ट्रेन स्टेशन पर हार्न बजाते हुए श्रोताओं के पास आती है तो ध्वनि तिर्ब सुनाई देती है
लेकिन जैसे-जैसे श्रोताओं से दूरी
होती जाती है तो ध्वनि बदल जाती है ऐसा डॉप्लर प्रभाव से संबंधित है |
और इसे भी पड़े
आर्किमिडीज़ के सिद्धांत का परिभाषा
और इसे भी पड़े
आर्किमिडीज़ के सिद्धांत का परिभाषा
ध्वनि के गुण :-
1.
ध्वनि का परावर्तन :- प्रकाश
के भाति ध्वनि भी एक माध्यम से चलकर दूसरे पृष्ठ से टकरा कर वापस लौट आए धोनी परिवर्तन
कहलाता है |
यह दीवारों से , पहाड़ों से और पृथ्वी के तल
से टकरा कर वापस आता है इसके निम्न प्रकार हैं
A. प्रतिध्वनि :- जो ध्वनि दीवार पहाड़ और गहरे कुएं में से वापस सुनाई दे प्रतिध्वनी काहलाती है |
b. वायुयान की ऊंचाई तथा पहाड़ों की बीच की दूरी माप सकते हैं |
B. अनुकरण :-
ध्वनि का हालकी दीवारों , छतों व फरसों के साथ बहुल परावर्तन को अनुकरण कहते हैं |
नोट :- ध्वनि हमारे कानों में 1 बटा
10 सेकंड तक गूंजती है |
2. ध्वनि का अपवर्तन :-
ध्वनि तरंगे एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाना धोनी अपवर्तन
कहलाता है |
- जैसे :- दिन में ध्वनि का स्रोत पास के क्षेत्रों में सुनाई देता है लेकिन रात्रि में यह दूर के क्षेत्रों में भी सुनाई देता है |
पर्णोदीप ध्वनि :- इसके अनुनाद धोनी के सिद्धांत पर रेडियो भी कार्य करता है !
सैनिकों को कदम से कदम मिलाकर पुल पर चलने नहीं दिया जाता है
क्योंकि पूल में अनुनाद उत्पन्न होने से पुल टूट सकता है |
मैक संख्या :- मैक
संख्या 1 से अधिक है तो पिंड की चाल पाराध्वनि कहलायेगी और मैक संख्या 5 से
अधिक है तो अतिपाराध्वनि कहलायेगी |
उष्मा :- उष्मा वह ऊर्जा है जो एक वस्तु से दूसरे वस्तु में केवल तापांतर का स्थानांतरण कराती है |
- 1 ग्राम जल का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा के मात्रा को कैलोरी कहा जाता है !
तापमापी :-
शैल्सियस :- शैल्सियस के खोजकर्ता शैल्सियस - सुडेन के
वैज्ञानिक थे !
फार्नेहाइड पैमाना :- फार्नेहाइड पैमाना के खोजकर्ता “ फार्नेहाइड ” - जर्मन के वैज्ञानिक थे |
नोट पॉइंट :-
- पहले फार्नेहाइड पैमाने को जीरो डिग्री शैल्सियस पैमाना कहा जाता था |
- 1 ग्राम जल का विशिष्ट ऊष्मा धारिता एक कैलोरिया ( 1 ग्राम शैल्सियस ) होता है |
- जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता अन्य प्रदाथो के तुलना में अधिक होता है |
जैसे :-
- जल का ऊष्मा धारिता = 4200 जूल/किलोकैलोरी
- बर्फ का ऊष्मा धारिता बराबर 2100 जूल/किलोकैलोरी
- पारा का ऊष्मा धारिता 140 जूल/किलोकैलोरी
- केरोसिन का ऊष्मा धारिता 210 जूल/किलोकैलोरी
- लोहा का ऊष्मा धारिता बराब 460 जूल/किलोकैलोरी
किरचॉफ का नियम :- इसके
अनुसार अच्छे अवशोषक ही अच्छे उत्सर्जक होते हैं !
जैसे :-
एक अंधेरे कमरे में एक काली और सफेद वस्तु रखी जाए तो और उसे
समान ताप पर गर्म किया जाए तब अंधेरे कमरे में काली वस्तु का विकिरण अधिक उत्सर्जित
होगा और सफेद का कम |
गुप्त ऊष्मा का वस्था
परिवर्तन :-
- प्रेशर कुकर में दाब बढ़ने के साथ-साथ क्वथनांक
भी बढ़ जाता है और वह गुप्त ऊष्मा भी प्राप्त करता है |
- बर्फ के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा का मान 80 किलो
कैलोरी बट ग्राम होता है |
- गुप्त ऊष्मा का मात्रक जूल/किलो होता है |
- उबलते जल के अपेक्षा भाप में अधिक गुप्त ऊष्मा होती है |
- आइसक्रीम फैक्ट्रियों में आइसक्रीम को ठंडा या हिम मिश्रण बनाने में नमक औ सोरा मिलाया जाता है |
रेफ्रीजिरेटर ( प्रशीतक
) :-
- वाष्पीकरण द्वारा ठंडक उत्पन्न की जाती है
- रेफ्रिजरेटर में तांबे के एक कुंडली में फीआन गैस भरा जाता है जो वाष्पीकरण उत्पन्न करता है
- आपेक्षित आद्रता को हाईइड्रोमीटर से नापा जाता है |
- ताप बढ़ाने पर आपेक्षित आद्रता भी बढ़ जाता है |
जो भी विद्यार्थियों
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