प्रागैतिहासिक काल इन हिंदी | praagaitihasik kal in hindi

प्रागैतिहासिक काल इन हिंदी | पाषण काल | पूरा पाषण काल | पूरा पाषण काल में प्रमुख स्थल | मध्य पाषण काल | नव पाषण काल | सिन्धु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता

प्रागैतिहासिक काल इन हिंदी :-


इस काल में कोई भी “ लिखित प्रमाण ” नही मिला था केवल प्रमाणिक साक्ष्य ही मिले थे इस लिए इसे प्रयागतिक काल इतिहास काल कहते हैं

इस काल में कोई भी “ लिखित प्रमाण ” नही मिला था केवल प्रमाणिक साक्ष्य ही मिले थे इस लिए इसे प्रागैतिहासिक काल इतिहास काल कहते हैं |
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पाषण काल :- इस काल में मनुष्य सभ्यता ( civilation )  का विकास हुआ अलग – अलग चरणों में |

पाषण काल के तिन प्रकार है

Ø  पाषण काल के तिन प्रकार है

1.. पूरा पाषण काल
2.. मध्य पाषण काल
3.. नव पाषण काल 

सदिश राशी एवं अदिश राशी किसे कहते हैं दोनों में क्या अंतर होता हैं

1.. पूरा पाषण काल :- इस काल को आखेट एवं खाद्य संग्रह काल भी कहा जाता है

  • इस काल में मनुष्य की जाति “ निग्रोटा काथा “
  • इस काल में कच्चे पदार्थ के रूप में “ क्वार्ट्जाईट , का प्रयोग होता है |
  • इस काल में मनुष्य पूर्णतः शिकार पर ही  निर्भर था |
  • इस काल में केवल पत्थरों  के उपकरण मिले जिसे “ स्फटिक ” भी कहा जाता है

क्योकि वह पत्थर के बने होते है |

पूरा पाषण काल में  प्रमुख स्थल :-


स्थल
क्षेत्र
 भीम वेतिका
मध्य प्रदेश
 16-आर –सिंगी तालाब
नौगोर जिला के राजस्थान
बेलन  घाटी
इलाहबाद – पहल गाँव
 etc


नोट :- आग का खोज पूरा पाषण काल में ही हो गया था लेकिन मनुष्य नव पाषण काल में इससे परिचित हुआ था |

मध्य पाषण काल :-  इस काल को “माइक्रोलीय ,, काल के नाम से भी जाना जाता है क्योकि इस काल में छोटे – छोटे उपकरण बनाये जाते थे | इनका साक्ष्य “ राजस्थान, गुजरात ,मिर्जापुर और विन्ध , क्षेत्रों से प्राप्त हुआ |

नव पाषण काल :- मनुष्य इस काल में कृषि और पहिये का अविष्कार किया और आग से परिचित भी हुआ | इस काल में ही मनुष्य को “ कुम्भ्कारी – कला ,, से परिचित हुआ |

नोट :- 1 ताम्र पाषण काल :- इस काल में ही मनुष्य ताम्बा  धातु  से परिचित हुआ |
‘ कुल्हाड़ी ,   नामक औजार बनाया |

इस काल को “ चर्कोलेथिक “  युग  भी कहा जाता है |

2  मनुष्य द्वारा खोजा गया पहला खाध्य पदार्थ  गेहूं और मनुष्य का पहला पालतू पशु कुत्ता था |
3 मनुष्य का भारत का सर्वप्रथम साक्ष्य – नर्मदा घाटी – से प्राप्त हुआ | यह  भीम वेतिका  में सम्बंधित जगह है 
4  भारत में सर्वप्रथम कृषि का साक्ष्य “ मेहरगन ,, ( लहुरादेव  भदोही ) से प्राप्त हुआ था |
5 मानव कंकाल के साथ – साथ कुत्ते का भी कंकाल “ गुडज होम “ (बुलिजिस्तान )

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सिन्धु घाटी सभ्यता या  हड़प्पा सभ्यता :-

सिन्धु घाटी की सर्वमान तिथि 2500 ई. पूर्व – में 1750 ई. पूर्व सर्वमान तिथि मन जाता है | सिन्धु घाटी  सभ्यता का खोज 1921 ई. में रामबहादुर सहानि  ने किया था |


सिन्धु घाटी की सर्वमान तिथि 2500 ई. पूर्व – में 1750 ई. पूर्व सर्वमान तिथि मन जाता है | सिन्धु घाटी  सभ्यता का खोज 1921 ई. में रामबहादुर सहानि  ने किया था |
 (पाकिस्तान -रावी नदी ) के किनारे |

सिन्धु घाटी सभ्यता का खोज अलग – अलग चार क्षेत्रों में हुआ था |

1.. उत्तर दिशा :- में खोज चिनाभ – नदी के किनारे – जम्मू कश्मीर के मादा जिले में हुआ था |

2.. दक्षिण दिशा :- में गोदावरी नदी के किनारे डाइमाबाद - महाराष्ट्र में हुआ था |

3. पूर्व दिशा :- हिंडन नदी के किनारे मेरठ के आलिम गिरपुर में हुआ था |

4.. पश्चिम दिशा :- में दाक्स नदी के किनारे बुलिजिस्तान |

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Trick : हडप्पा सभ्यता के स्थल एवं सम्बंधित नदियाँ


Trick –– "लोभी मौसी का हरा कंघा रमा ने ले लिया, तो वह रोस में आ गयी और उसे बस से कुचल दिया"

• लोभी - लोथल : भोगवा नदी

• मौसी - मोहन्जोदारो : सिंधु नदी

• हरा - हडप्पा : रावी नदी

• कंघा - कालीबंगा : घग्गर नदी

• रमा - रंगपुर : मादिर नदी

• रोस - रोपड़ : सतलज नदी

• बस - बनमाली : सरस्वती नदी




Ø  सिन्धु घाटी सभ्यता में खुदाई के दोरान देवियों की मूर्ति अधिक मिलने से
इस सभ्यता को मात्र – सत्रात्मक सभ्यता माना गया
Ø  सिन्धु घाटी सभ्यता में मिठ्ठे (sweet ) के लिए यहाँ के लोग “ सहद “ का प्रयोग करते थे |
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यहाँ सबसे बड़ा स्नाना गाह (ईस्नना गाह ) – मोहन दोजड़ो से साक्ष्य मिला
Ø  सिन्धु घाटी के लोग पशुपति भगवन को अपना इष्ट देव मानते थे |
Ø  यहाँ चावल का साक्ष्य लोथल से मिला एवं एक मात्र बंदर गाह लोथल से लोथल गुजरात के भोगवा नही के किनारे स्थित था |
Ø  सिन्धु घाटी सभ्यता में सबसे बड़ा अन्ना गाह मोहन जोदड़ो का साक्ष्य मिला |
इस सभ्यता में सबसे सर्वधिक अंकन एक सिंही वाले पशु का हुआ था |

ü  इस सभ्यता के लोगो ने नगरो के निवाश के लिए ग्रिड पघति पर घरो का निर्माण करते थे |

note :- ग्रिड पघति का तात्पर्य की घरो के दरवाजे और खिड़किया सड़क की ओर न खोलकर बल्की सड़क के पीछे खुलते थे |
v  इस सभ्यता की मुख्य फसल गेहूं और जों था |
v  रंगपुर से भी चावल के साक्ष्य मिले थे |
v  पिग्ट महोदय ने मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता को जुडुआ राजधानी की सभ्यता दिया था |
v  इस सभ्यता में अग्निकुंड का साक्ष्य कालीबंगन –राजस्थान और लीथल से प्राप्त हुआ |
v  घोड़े के अस्थिपंजर सुतकंगोडोर – कालीबंगन लोथल से प्राप्त हए |
 इस सभ्यता में “ तोल ” की इकाई 16 के अनुपात में थी |

Ø  इस सभ्यता में स्वास्तिक चिन्ह ( सिम्बल नही मिला दोस्तों जो हमलोग शुभ लाभ के लिए प्रयोग करते है वही स्वास्तिक चिन्ह होता है ) का प्रचालन प्रारम्भ हुआ था |
और नकसा कारी ईट का साक्ष्य – कालीबंगन से प्राप्त हुआ था |

सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग तलवार से परचित नही थे यहाँ के लोग काले रंग से डिज़ाइन किये हुए लाल मिटटी के बर्तन बनाते थे |


Ø  सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग तलवार से परचित नही थे यहाँ के लोग काले रंग से डिज़ाइन किये हुए लाल मिटटी के बर्तन बनाते थे |
Ø  सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग मनोरंजन के लिए मछली पकड़ना , शिकार करना , पासा खेलना और पशुओ को आपस में लडाने का कार्य मनोरंजन के रूप में करते थे |

Ø  इस सभ्यता में आग में पकी हुई मिटटी को “ टेराकोटा ” के नाम से फुकारते थे |

सिन्धु घाटी के प्रमुख स्थल एवं खोजकर्ता और उनके नदी :-  



स्थल
नदी
खोजकर्ता
वर्ष
1.      कालीबंगन (राजस्थान )
घग्घर
बी बी लाल एवं वि के थापर
1953
2.      मोहन जोदड़ो
सिन्धु
राखल दास बनर्जी
1922
3.      रंगपुर
मादर
रंगनाथ राव
1553-54 मध्य
4.      लोथल
भोगवा
रंगनाथ राव
1955-1962     मध्य
5.      सुतकंगो डोर
दाक्स
आरेंजे स्टाइल , जार्ज डेल्स
1927-1962   मध्य
6.      बनमाली (हरियाणा की हिसार जिला )
रंगोई नदी
रविन्द्र सिंह विशष्ट
1974
7.      चाहुन्द्द्रो
सिन्धु
गोपाल मजूमदार
1921
8.      रोपण ( पंजाब )
सतलज
यज्ञ दत शर्मा
1953-56  मध्य
9.      आलम मीरपुर
हिंडन
यज्ञ दत शर्मा
1958
10.  हड़प्पा
रावी नदी
रायबहादुर शहानी
1921



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