वैदिक सभ्यता इन हिंदी

वैदिक काल | ऋग वैदिक काल | उत्तर वैदिक काल | वेद | ऋग्वेद | यजुर्वेद | श्याम वेद | अथर्वेद | उपनिषद | वेदांग | पुराण .

वैदिक काल :- वैदिक काल को दो भागों में बांटा गया है !

वैदिक काल | ऋग वैदिक काल | उत्तर वैदिक काल | वेद | ऋग्वेद | यजुर्वेद | श्याम वेद | अथर्वेद  | उपनिषद | वेदांग | पुराण | के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य जाने दोस्तों 

वैदिक काल को दो भागों में बांटा गया है !  ऋग वैदिक काल  उत्तर वैदिक काल

  • ऋग वैदिक काल
  • उत्तर वैदिक काल

और इसे भी पड़े 

ऋग वैदिक काल :- इस कॉल 1500  ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व माना जाता है !

ऋग वैदिक काल में आर्यों का आगमनमाना जाता है !
मैक्स मूलर के अनुसार आर्यों का निवास स्थान
मध्य एशिया माना जाता है !


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  1. आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता को वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है |
  2. आर्यों द्वारा बसाई गई सभ्यता  ग्रामीण सभ्यता थी !
  3. और उनकी भाषा संस्कृति थी !

आर्यों की प्रशासनिक इकाई सबसे छोटा

कुल < ग्राम < विष < जन < राष्ट्र


  • कुल सबसे छोटी इकाई थी और इसका मुखिया कुलुप था !
  • ग्राम के मुखिया को ग्रामीण कहते थे !
  • विष के मुखिया को विषपति करते थे !
  • जन के मुखिया को पुरोहित कहते थे !
  • और आगे चलकर जन से ही जनपद का निर्माण हुआ |
  • राष्ट्र के मुखिया को शासक कहते हैं !
  • वैदिक सभ्यता का “ समाजपुरुष प्रधान ” समाज था !
  • इसका वर्णन ऋग्वेद 10 वें मंडल में मिलता है |
  • इस काल में लोगों का मुख्य खाद्य पदार्थ चावल था |


और नमक , मछली का प्रयोग आर्य नहीं करते थे !

इस काल में गायों की हत्या या गायों की चोरी जगन्य अपराध माना जाता था !

एक गाय के चोरी पर 100 गाये लाना पड़ता था इस प्रकार के चोरों को पाडी कहा जाता था !

और दूर व्यापार करने वाले को पड़ी कहा जाता था !

इस काल में  ऋण ब्याज लेने वाले को “ वेकनाट ” जाता था !

आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा था और आर्यों द्वारा खोजी गई वस्तु लोहा था |

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उत्तर वैदिक काल :- इसका समय 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व था !


इस काल को वेदों का काल , उपनिषदों का काल , पुराण , वेदांग , स्मृतियां , रामायण , महाभारत का काल कहा जाता है |

इतिहास में सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ – “ वेद को कहा जाता है और सबसे प्राचीन वेद  ऋग्वेद को कहा जाता है |

वेद :- वेद के चार प्रकार हैं !

वेद :- वेद के चार प्रकार हैं

  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. श्याम वेद
  4. अथर्वेद

ऋग्वेद :- गायत्री मंत्र और ऋग्वेद में श्लोक और रिचारों का वर्णन मिलता है !


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इस वेद में मंडलों की संख्या 10 और श्लोकों की संख्या 1028 है !

इस वेद में अग्नि देवता के लिए 200 श्लोक और 250 श्लोक इंद्र देवता” के लिए उल्लेखित है !
  • इसी वेद में “वामना- अवतार “ के तीन  पग का वर्णन भी मिलता है !

  • इस वेद में दूसरे एवं सातवें मंडल के श्लोक सबसे प्राचीन हैं !

  • गायत्री मंत्र का वर्णन ऋग्वेद के सातवें मंडल में है |


यजुर्वेद :- इसे धनुर्वेद भी कहते हैं क्योंकि इसका जन्म “ कुरुक्षेत्र ” के रण में हुआ था !


इसमें युद्ध कला का वर्णन है इसे गद – ( कृष्ण पक्ष ) और पद - (शुक्ल पक्ष )  वाला वेद भी कहा जाता है !

और इसे भी पड़े 
इसमें यज्ञ अनुष्ठान के वाक्य सम्मिलित हैं क्योंकि यजुर्वेद  “ अजूस ” नामक शब्द से बना है !
जिसका अर्थ होता है यज्ञ !

इस वेद में यज्ञ अनुष्ठान कराने वाले को “ अध्वर्यु ” कहा जाता है |

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श्याम वेद :- संगीत का जनक कहा जाता है श्याम वेद में पाठ्य कर्ता को “ उद्रात्रि ” कहा जाता है श्याम वेद में रिचारों की संख्या 1875 थी |


अथर्वेद :- सबसे बाद का वेद भी कहा जाता है !

और इसमें जादू , टोना , टोटका , शादी का संबंध अर्थ वेद से है |

नोट :-

  1. वेद के जन्मदाता “ कृष्ण व्दाप्न है |
  2. आलस्य दरिद्रता का मूल्य है इसका वर्णन यजुर्वेद में मिलता है |

उपनिषद :- उपनिषद का शाब्दिक अर्थ - गुरु के समीप बैठना अर्थात “ ब्रह्म ज्ञान ” की प्राप्ति करना |

  • उपनिषदों की कुल संख्य - 108 है !
  • जिनमें से मात्र 13 को प्रमाणित किया गया है !
  • भारत का राष्ट्रीय वाक्य “ सत्यमवयज्यते ” का वर्णन मुंडको उपनिषद में मिलता है |

वेदांग :- वेदांग के 6 प्रकार हैं !

  1. शिक्षा .
  2. कल्प .
  3. व्याकरण .
  4. निरुप्त .
  5. छंद .
  6. ज्योतिष .


वेदांग के 6 प्रकार हैं


दर्शन

प्रवतक [ जन्मदाता ]

सांख्य
कपिल मुनि
योग
पतंजलि
न्याय
गौतम
वैशेषिक
कणाद
उत्तर विमासा
वाद्रापण
पूर्व विमासा
जैमिनी

पुराण :- 


पुराणों के जन्म दाता “ लोम हर्ष ” एवं उनके पुत्र “ उर्गश्रवा ” पुराणों की संख्या 18 है !
सबसे प्राचीन एवं प्रमाणित पुराण “ मत्स्यपुराण ” है मत्स्यपुराण का संबंध सातवाहन और
विष्णु पुराण का संबंध मौर्य वंश से है |

वायु पुराण का संबंध “ गुप्त वंश “ से है |
अग्नि पुराण का संबंध “ गणेश पूजा ” और तांत्रिक पद्धति से है |

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