धार्मिक आंदोलन | जैन धर्म | महाभारत के रचयित " वेदव्यास " हैं यह संस्कृत मे लिखा गया | रामायण | स्मृतियां | ऋग वैदिक कालीन नदियां | महावीर स्वामी..
और इसे भी पड़े
तरंग किसे कहते हैं | तरंगों के प्रकार इन हिंदी
धार्मिक आंदोलन :-
महावीर स्वामी :-
महाकाव्य :- महाकाव्य दो प्रकार के हैं |
- महाभारत
- रामायण
महाभारत :- महाभारत के रचयित " वेदव्यास " हैं
- यह संस्कृत मे लिखा गया |
- महाभारत को “ जयसहिता ” के नाम से भी जाना जाता हैं !
- महाभारत में पर्वो की संख्या 18 है !
- जयसहिता का अर्थ विजय से है |
- यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य “ महाभारत ” है |
और इसे भी पड़े
रामायण :- इसके रचयिता “ महाश्री बाल्मीकि ” हैं !
रामायण
को “ चतुवि
संस्थीय सहित ” के नाम से भी जाना जाता है |
रामायण
मे 7 अध्याय हैं |
- बालकांड
- अयोध्या कांड
- आर्यण कांड ( वनवास कांड )
- किष्किंधा कांड
- सुंदरकांड
- लंका ( युद्ध कांड )
- उत्तर कांड
स्मृतियां :- सबसे प्रमाणित और “ प्राचीन स्मृतियां ” मनुष्य समितियां हैं !
स्मृतियां
को “ धर्म शास्त्र “ भी कहा जाता है |
नोट :-
वैदिक
सभ्यता में धातु के काम आने वाली दो प्रकार से वर्णन हुआ |
- लोहा
- चांदी
- यजुर्वेद में इसका वर्णन है |
- उत्तर वैदिक काल में 14 पुर्वोदिको का वर्णन मिलता है |
- उत्तर वैदिक काल में राजा का वर्णन “ ऐतरेय ब्राह्मण “ में मिलता है |
- इस काल में बैलों द्वारा हल खींचे जाने का वर्णन “ काट्ख सहिता ” में मिलता है |
- जिसमें 24 बैल हुआ करते थे |
- तैत्रीय उपनिषद में अन्न को “ ब्रह्म ” कहा गया और यजुर्वेदमें हल को “ सिर ” कहा जाग गया |
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वैदिक सभ्यता में साधन करने वाले को क्या कहा जाता था :-
- उत्तर :- शासन करने वाले = विराट , क्षेत्र = वीराज्य |
- दक्षिण :- शासन = भोज , क्षेत्र = भोज्य |
- पूर्व :- शासन = सम्राट , क्षेत्र = साम्राज्य |
- पश्चिम :- शासन = स्वराज , क्षेत्र = स्वराज्य |
और इसे भी पड़े
प्रागैतिहासिक काल इन हिंदी
ऋग वैदिक कालीन नदियां :-
प्राचीन
नदियां
|
वर्तमान
नदियां
|
कुभा
|
काबुल नदी
|
कुरुभ
|
कोसी नदी
|
वितस्ता
|
झेलम नद हेलम नदी
|
आस्किनी
|
चिनाब नदी
|
शत्रुर्दी
|
सतलज नदी
|
द्रिसद्धती
|
घग्घर नदी
|
विपाशा
|
व्यास नदी
|
सुवस्तु
|
स्वात नदी
|
सदानीरा
|
गंडक नदी
|
गोमदी
|
गोमद
|
नोट :-
गोमती “ गोमद ” नदी गाजीपुर के कैथी नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती है |
ऋग वैदिक कालीन देवता एवं संबंध :-
देवता
|
देवता
संबंध
|
सोम देवता
|
वनस्पति देवता
|
उषा देवता
|
प्रगति एवं उथान का देवता
|
अश्विन देवता
|
विपत्तियों को हरने वाला
|
अग्नि देवता
|
देवता और मनुष्य के बीच आस्था बनाना
|
इंद्र देवता
|
युद्ध के नेता और वर्षा
|
धार्मिक आंदोलन :-
जैन धर्म :-
जैन
धर्म के प्रथम तीर्थंकर “ ऋषभदेव ” रहे और 23 वे “ पास्वनाथ ” और 24 वे तीर्थंकर
के रूप में
“ महावीर स्वामी ” को जाना जाता है |
इस
प्रकार जैन धर्म 24 तीर्थंकर हुए |
महावीर स्वामी :-
और इसे भी पड़े
इनका
जन्म 540 ईसा पूर्व
में
“ वैशाली के कुंड ग्राम ” में हुआ था |
- इनके पिता का नाम “ सिद्धार्थ और इनका संबंध गायत्रीकुल से था |
- इनके माता का नाम त्रिशला था |
- त्रिसला लीक्ष्वी नरेश चेटक की बहन थी |
- महावीर स्वामी की पत्नी यशोदा थी और इनके पुत्री का नाम “ अनोज्जा प्रिय दर्शनी ” था |
- महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था |
- यह 30 वर्ष की अवस्था में “ नंदीवर्धन ” से आज्ञा लेकर अपना गृह त्याग दिए थे |
- महावीर स्वामी ने 12 वर्ष की कठिन तपस्या कर के जीम्भिक के समीप “ ऋपालिका ” नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई |
- उस समय इन्हे जिन्न कहा जाता था जिन्ना का अर्थ विजय विजेता होता था |
- महावीर स्वामी ने अपना पहला उद्देश्य अपने दामाद “ जामिल ” को दिया |
और
जैन धर्म की भिछुडी “ चंपा ” बनी जैन धर्म के तिनरत्न
सम्यक
दर्शन
सम्यक
ज्ञान
सम्यक
आचरण
यह
जैन धर्म के तीन रत्न है |
जैन
धर्म क 5 महाव्रत जोड़े गए
जिसमें
से चार पहले से थे और पांचवा महाव्रत को महावीर स्वामी ने जोड़ा जिनका नाम ब्रह्मचर्य रखा |
जैसे :-
- अहिंसा
- सत्य वचन
- अस्तेय
- आपरिग्रह
- ब्रह्मचर्य
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जैन
धर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं थी बल्कि आत्माको मानते थे |
महावीर
स्वामी पुनः जन्म और कर्मवाद में विश्वास रखते थे |
लगभग 300 ईसा पूर्व के समय मगध में 12 वर्षों का विषम
अकाल पड़ा जिसमें भद्रबाहु ने अपने शिष्यों को लेकर “ कनिट ” चले गए |
और
“ स्थूल बाहू ” मगद में ही रुक गए |
इस
प्रकार जैन धर्म संप्रदा का दो बटवारा हो गया जिसमें“ स्थूल बाहू ” ने श्वेतांबर
अपनाया और भद्रबाहु ने दिगांबर अपनाया |
इसे भी पड़े
जैन धर्म को अपनाने वाला शासक राजा :-
चंद्रगुप्त
मौर्य , उदाइन , खारवेल , चंदेल शासक
, राजा अमोघवर्ष |
जैन धर्म की सबसे बड़ी मूर्ति “ गोमतेश्वर ” की मूर्ति कर्नाटक राज्य के स्वर्णवेला गोला में स्थित है |
महावीर स्वामी की मृत्यु 72
वर्ष की अवस्था में 468
ईसा पूर्व में पावापुरी( राजगीर ) में हो गया |
इनकी मृत्य मल्लराजा “सृष्टि पाल ” के “ राज प्रसाद ”
इसे भी पड़े
जैन धर्म की प्रमुख संगतियां :-
प्रथम
संगतिय 300 ईसा पूर्व में “ पाटलिपुत्र ” में हुआ और इसके अध्यक्ष “ स्थूलबाहु ” |
दूसरा
संगतिय 6 वी शताब्दी
में 512 ईसा पूर्व में गुजरात के “ बल्लभी ” में और अध्यक्ष “ क्षमाश्रवरण” को बनाया गया |
महावीर स्वामी का प्रतीक “ सिंह ” था |
जैन धर्म के 2
तीर्थंकरों का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है |
- ऋषभ देव
- अरिस्तमेनी
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