jain dharm in hindi

धार्मिक आंदोलन | जैन धर्म | महाभारत के रचयित " वेदव्यास " हैं यह संस्कृत मे लिखा गया | रामायण | स्मृतियां | ऋग वैदिक कालीन नदियां |  महावीर स्वामी..
महाकाव्य दो प्रकार के हैं | महाभारत रामायण

महाकाव्य :- महाकाव्य दो प्रकार के हैं |

  1. महाभारत
  2. रामायण

महाभारत :- महाभारत के रचयित " वेदव्यास " हैं

महाभारत के रचयित " वेदव्यास " हैं

  • यह संस्कृत मे लिखा गया |
  • महाभारत को जयसहिता के नाम से भी जाना जाता हैं !
  • महाभारत में पर्वो की संख्या 18 है !
  • जयसहिता का अर्थ विजय से है |
  • यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य “ महाभारत ” है |

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रामायण :- इसके रचयिता “ महाश्री बाल्मीकि ” हैं !

इसके रचयिता “ महाश्री बाल्मीकि ” हैं !

रामायण को “ चतुवि संस्थीय सहित ” के नाम से भी जाना जाता है |
रामायण मे 7 अध्याय हैं |
  1. बालकांड
  2. अयोध्या कांड
  3. आर्यण कांड ( वनवास कांड )
  4. किष्किंधा कांड
  5. सुंदरकांड
  6. लंका ( युद्ध कांड )
  7. उत्तर कांड

स्मृतियां :- सबसे प्रमाणित  और “ प्राचीन स्मृतियां ” मनुष्य समितियां हैं !

स्मृतियां को “ धर्म शास्त्र “ भी कहा जाता है |

नोट :-

वैदिक सभ्यता में धातु के काम आने वाली दो प्रकार से वर्णन हुआ |
  1. लोहा
  2. चांदी

  • यजुर्वेद में इसका वर्णन है |
  • उत्तर वैदिक काल में 14 पुर्वोदिको का वर्णन मिलता है |
  • उत्तर वैदिक काल में राजा का वर्णन “ ऐतरेय ब्राह्मण “ में मिलता है |
  • इस काल में बैलों द्वारा हल खींचे जाने का वर्णन “ काट्ख सहिता ” में मिलता है |
  • जिसमें 24 बैल हुआ करते थे |
  • तैत्रीय उपनिषद में अन्न को “ ब्रह्म ” कहा गया और यजुर्वेदमें हल को “ सिर ” कहा जाग गया |

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वैदिक सभ्यता में साधन करने वाले को क्या कहा जाता था :-

  1. उत्तर :- शासन करने वाले = विराट , क्षेत्र = वीराज्य |
  2. दक्षिण :- शासन = भोज , क्षेत्र = भोज्य |
  3. पूर्व :- शासन = सम्राट , क्षेत्र = साम्राज्य |
  4. पश्चिम :- शासन = स्वराज , क्षेत्र = स्वराज्य |

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प्रागैतिहासिक काल इन हिंदी

ऋग वैदिक कालीन नदियां :-

प्राचीन नदियां
वर्तमान नदियां
कुभा
काबुल नदी
कुरुभ
कोसी नदी
वितस्ता
झेलम नद हेलम नदी
आस्किनी
चिनाब नदी
शत्रुर्दी
सतलज नदी
द्रिसद्धती
घग्घर नदी
विपाशा 
व्यास नदी
सुवस्तु
स्वात नदी
सदानीरा
गंडक नदी
गोमदी
गोमद

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नोट :-

गोमती “ गोमद ” नदी गाजीपुर के कैथी नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती है |

ऋग वैदिक कालीन देवता एवं संबंध :-

देवता
देवता संबंध
 सोम देवता
 वनस्पति देवता
 उषा देवता
 प्रगति एवं उथान का देवता
 अश्विन देवता
 विपत्तियों को हरने वाला
 अग्नि देवता
 देवता और मनुष्य के बीच आस्था बनाना
 इंद्र देवता
 युद्ध के नेता और वर्षा
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 तरंग किसे कहते हैं | तरंगों के प्रकार इन हिंदी

धार्मिक आंदोलन :-

जैन धर्म :-

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर “ ऋषभदेव ” रहे और 23 वे “ पास्वनाथ ” और 24 वे तीर्थंकर के रूप में       “ महावीर स्वामी ” को जाना जाता है |  इस प्रकार जैन धर्म 24 तीर्थंकर हुए

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव रहे और 23 वे पास्वनाथ ” और 24 वे तीर्थंकर के रूप में    
 “ महावीर स्वामी ” को जाना जाता है |
इस प्रकार जैन धर्म 24 तीर्थंकर हुए  |

महावीर स्वामी :-

इनका जन्म 540 ईसा पूर्व  में “ वैशाली के कुंड ग्राम ” में हुआ था
और इसे भी पड़े 
इनका जन्म 540 ईसा पूर्व
में “ वैशाली के कुंड ग्राम ” में हुआ था |
  • इनके पिता का नाम “ सिद्धार्थ और इनका संबंध गायत्रीकुल से था |
  • इनके माता का नाम त्रिशला था |
  • त्रिसला लीक्ष्वी नरेश चेटक की बहन थी |
  • महावीर स्वामी की पत्नी यशोदा थी और इनके पुत्री का नाम “ अनोज्जा प्रिय दर्शनी ” था |
  • महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था |
  • यह 30 वर्ष की अवस्था में “ नंदीवर्धन ” से आज्ञा लेकर अपना गृह त्याग दिए थे |
  • महावीर स्वामी ने 12 वर्ष की कठिन तपस्या कर के जीम्भिक के समीप “ ऋपालिका ” नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई |
  • उस समय इन्हे जिन्न कहा जाता था जिन्ना का अर्थ विजय विजेता होता था |
  • महावीर स्वामी ने अपना पहला उद्देश्य अपने दामाद “ जामिल ” को दिया |

और जैन धर्म की भिछुडी “ चंपा ” बनी जैन धर्म के तिनरत्न
सम्यक दर्शन
सम्यक ज्ञान
सम्यक आचरण
यह जैन धर्म के तीन रत्न है |
जैन धर्म 5 महाव्रत जोड़े गए
जिसमें से चार पहले से थे और पांचवा महाव्रत को महावीर स्वामी ने जोड़ा जिनका नाम ब्रह्मचर्य रखा |
जैसे :-
  1. अहिंसा
  2. सत्य वचन
  3. अस्तेय
  4. आपरिग्रह
  5. ब्रह्मचर्य

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जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं थी बल्कि आत्माको मानते थे |
महावीर स्वामी पुनः जन्म और कर्मवाद में विश्वास रखते थे |
लगभग 300 ईसा पूर्व के समय मगध में 12 वर्षों का विषम अकाल पड़ा जिसमें भद्रबाहु ने अपने शिष्यों को लेकर “ कनिट ” चले गए |
और “ स्थूल बाहू ” मगद में ही रुक गए |
इस प्रकार जैन धर्म संप्रदा का दो बटवारा हो गया जिसमें“ स्थूल बाहू ” ने श्वेतांबर अपनाया और भद्रबाहु ने दिगांबर अपनाया |
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जैन धर्म को अपनाने वाला शासक राजा :-

चंद्रगुप्त मौर्य , उदाइन , खारवेल , चंदेल शासक , राजा अमोघवर्ष |

जैन धर्म की सबसे बड़ी मूर्ति “ गोमतेश्वर ” की मूर्ति कर्नाटक राज्य के स्वर्णवेला गोला में स्थित है |
महावीर स्वामी की मृत्यु 72 वर्ष की अवस्था में 468 ईसा पूर्व में पावापुरी( राजगीर ) में हो गया |

इनकी मृत्य मल्लराजा “सृष्टि पाल ” के “ राज प्रसाद ”

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जैन धर्म की प्रमुख संगतियां :-

प्रथम संगतिय 300 ईसा पूर्व में “ पाटलिपुत्र ” में हुआ और इसके अध्यक्ष “ स्थूलबाहु ” |
दूसरा संगतिय 6 वी शताब्दी में 512 ईसा पूर्व में गुजरात के “ बल्लभी ” में और अध्यक्ष “ क्षमाश्रवरण” को बनाया गया |

महावीर स्वामी का प्रतीक “ सिंह ” था |

जैन धर्म के 2 तीर्थंकरों का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है |
  1. ऋषभ देव
  2. अरिस्तमेनी 

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